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संक्रमण के दौर में भारत (India in Transition)

पारस रत्न
31/12/2018
28-29 अक्तूबर, 2018 को 13 वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के एक भाग के रूप में जापान की यात्रा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व की निरंतर बदलती अस्थिर व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में भारत-जापान के द्विपक्षीय संबंधों के उदीयमान विकास बिंदुओं पर प्रकाश डाला था. भारत और जापान दोनों ही देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इसलिए दोनों ही देशों के बीच विभिन्न मोर्चों पर सहयोग निश्चय ही अपेक्षित है.यह भी उल्लेखनीय है कि एक दूसरे के साथ बेहतर और मज़बूत संबंध बनाने के सामूहिक हितों का अंदाज़ा इसी बात से हो
ऐमरिक डेवीज़
17/12/2018
पिछले तीस वर्षों में भारत सरकार ने अपने नागरिकों को शिक्षा देने का उल्लेखनीय कार्य किया है. इसकी शुरुआत राज्य-स्तर पर की गई थी. इस दिशा में सन् 1984 में शुरू किया गया आंध्र प्रदेश का प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम और सन् 1987 में राजस्थान में शुरु किया गया शिक्षाकर्मी कार्यक्रम उल्लेखनीय था. इसकी परिणति सन् 2009 में केंद्र द्वारा लागू किये गये शिक्षा-अधिकार अधिनियम के रूप में हुई. शिक्षा को समर्पित यह कानून-सम्मत चरणबद्ध कार्यक्रम अद्भुत था. इसके कारण शिक्षा का सचमुच विस्तार हुआ और प्राथमिक स्तर पर शिक्षा की
शशांक श्रीनिवासन
03/12/2018
7 अक्तूबर, 2014 को लगता है कि मानवरहित हवाई वाहन (अर्थात् UAVs; जिसे आम भाषा में ड्रोन कहा जाता है) के निर्माण और संचालन के क्षेत्र में भारत के विश्व-नेता बनने की आकांक्षाओं पर रातों-रात तुषारापात हो गया. भारत में नागरिक उड्डयन के विनियामक महानिदेशक, नागरिक उड्डयन (DGCA) ने एक संक्षिप्त सार्वजनिक सूचना जारी करके हर प्रकार की गैर-सरकारी संस्था या व्यक्ति को किसी भी प्रयोजन के लिए संरक्षा और सुरक्षा के कारणों से UAVs अर्थात् ड्रोन को उड़ाने पर
अविनाश पालीवाल
19/11/2018
मार्च 2018 में आयोजित सुरक्षा परिषद की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था कि "इस तथ्य के बावजूद कि सशस्त्र समूहों ने खुद की अपनी पहचान बना ली है और हम सभी के सामने यह सिद्ध भी कर दिया है कि वे समझौते के कट्टर विरोधी हैं, फिर भी अफ़गान सरकार की शांति स्थापित करने की इच्छा अभी भी बनी हुई है." सन् 2015 में इसी तरह से आगे बढ़कर घानी ने जो पहल की थी, उसे न केवल नापसंद किया गया था, बल्कि इसे घानी का पाकिस्तान के प्रति झुकाव भी माना
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फ्रांसिस कुरियाकोज़ व दीपा ऐयर
05/11/2018
हम कृत्रिम बुद्धि (AI) के ऐसे युग में रहते हैं जिसने हमें प्रोसेसिंग की ज़बर्दस्त शक्ति, भंडारण की क्षमता और सूचना तक पहुँचने की शक्ति प्रदान की है. इसी प्रौद्योगिकी के बढ़ते विकास के पहले चरण में हमें चरखा, दूसरे चरण में बिजली और औद्योगिक क्रांति के तीसरे चरण में कंप्यूटर की सौगात मिली. सन् 2016 में विश्व
मीनाक्षी सिन्हा
22/10/2018

कोलकाता में पहली मैट्रो परियोजना के बाद भारत को लगभग दो दशक का समय लगा जब दूसरी मैट्रो रेल परियोजना सन् 2002 में दिल्ली में शुरू हुई. लेकिन उसके बाद भारत के विभिन्न शहरों में मैट्रो रेल परियोजनाओं की झड़ी लग गई. पिछले एक दशक में भारत के तेरह से अधिक शहरों में मैट्रो रेल प्रणालियों को मंजूरी प्रदान की गई और कई राज्य ऐसे हैं जो केंद्र सरकार से अभी-भी मैट्रो रेल परियोजनाओं की मंजूरी मिलने की बाट जोह रहे हैं.

संजय चक्रवर्ती
08/10/2018
बार-बार होने वाले धमाकों की तरह मीडिया और ट्विटर खाताधारकों के बीच छोटा-मोटा वाक् युद्ध ही छिड़ गया है कि भारत में कितनी असमानता है और यह किस हद तक बढ़ती जा रही है. इस बार इस बहस की शुरुआत हुई जेम्स क्रैबट्री की पुस्तक द बिलियनर राज के प्रकाशन से. पिछले साल भी इसी तरह की घटना हुई थी जब ल्यूक चांसेल और थॉमस पिकेटी का एक आलेख “भारतीय आय में असमानता, 1922-2015 : ब्रिटिश राज से बिलियनर राज तक ?” प्रकाशित हुआ था. दोनों ही इस बात पर सहमत थे कि भारत में
नीलंती समरनायके
24/09/2018
पिछले माह भारत के राजकीय दौरे के समय सैशल्स के राष्ट्रपति डैनी फ़ॉरे का भव्य स्वागत किया गया था. हिंद महासागर के अपने छोटे-से द्वीप के लिए वह अपने साथ रक्षा सामग्री के रूप में बहुत बड़ी सौगात लेकर गए थेः सेकंड डोर्नियर एयरक्राफ़्ट, सागर सुरक्षा सहयोग के लिए $100 मिलियन डॉलर का लाइन ऑफ़ क्रेडिट और व्हाइट शिपिंग की सूचना साझा करने के लिए एक करार. परंतु दोनों देशों के साझा हितों से संबंधित
रूपकज्योति बोरा
10/09/2018
भारत और चीन के बीच हुई वुहान शिखर-वार्ता को भारत-प्रशांत क्षेत्र के व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए. यह बात बेहद महत्वपूर्ण है कि नई दिल्ली और बीजिंग अपने मतभेदों को सुलझाने में सक्षम हैं, क्योंकि दोनों देशों को अपना ध्यान आर्थिक विकास पर केंद्रित रखने की आवश्यकता है. नई दिल्ली के लिए यह उचित ही होगा यदि वह सीमा पर चौकसी में किसी भी प्रकार की ढिलाई न करते हुए बीजिंग के साथ अभिसरण (कर्वजेंस) के क्षेत्र में सहयोग करे.जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र
स्कॉट मूर
27/08/2018
लगभग पंद्रह साल पहले भारत के केंद्रीय जल आयोग ने चेतावनी दी थी कि विश्व के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में “जलीय राजनीति, संघवाद के मूलभूत ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने पर तुली हुई है”. वास्तव में सिंधु और ब्रह्मपुत्र सहित सभी नदियों के साथ-साथ उपमहाद्वीप की सभी प्रमुख नदियाँ भी किसी न किसी स्तर पर विवादास्पद ही हैं. वस्तुतः जहाँ अनेक देशों की सीमाओं से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग अधिकाधिक चर्चा में रहते हैं, वहीं भारत की आंतरिक नदियों के