“आज खेती वैसी नहीं है जैसी पहले हुआ करती थी.” यह बात मुझे कलिम्पोंग के लोगों ने उस समय बतायी थी जब मैं कोविड के फ़ील्डवर्क के अंतराल के बाद सन् 2022 की गर्मियों में वहाँ गई थी. कुछ बदलाव आ गया था. पहले के समय में, लोग हिमालय की तलहटी में पश्चिम बंगाल के एक जिले कलिम्पोंग में एक खास वस्तु के रूप में खेती को महत्व देने में आगे रहते थे. खेती और भूमि पर स्वामित्व के अधिकार ने नेपालियों और स्वदेशी लेपचा और भूटिया लोगों को, जो कलिम्पोंग को अपना घर कहते हैं, एक अलग राजनीतिक चेतना प्रदान की.