संक्रमण के दौर में भारत (India in Transition)


भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति-निर्माण में परंपरागत रूप में केंद्रीय रणनीतिक योजना की कमी रही हैः जैसे संगठित प्रक्रिया, दीर्घकालीन लक्ष्य निर्धारित करके असैन्य और सैन्य संस्थानों में खरीद और पूर्णता के प्रयास के ज़रिये पूरी तरह से समन्वय लाना. इसके बजाय रक्षा नीति संबंधी गतिविधियों में मुख्यतः खरीद की इच्छा-सूचियों का संग्रह ही होता है. तीनों सैन्य सेवाओं द्वारा मुख्य रूप से प्रधान मंत्री द्वारा समय-समय पर शुरू की गई पहल के साथ-साथ ये सूचियाँ अलग-अलग प्रस्तुत की जाती हैं.


मानव-रहित हवाई वाहनों की मदद से कुछ ऐसे रोबोट उड़ाये जा रहे हैं जिनसे मानव-सहित उड़ानों के कुछ लाभ तो मिलते हैं लेकिन, इनमें न तो कोई जोखिम उठाना पड़ता है और न ही किसी प्रकार की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती है. ड्रोन नाम से प्रचलित ये रोबोट पिछले दो दशकों से इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान में हुई प्रगति के कारण काफ़ी चर्चा में आ गए हैं. सन् 1973 में योम कुप्पूर में और सन् 1982 में लेबनान के युद्ध में जब से इनकी क्षमता प्रमाणित हुई है, कई सैन्यबलों ने इनकी मदद से निगरानी का काम शुरू कर दिया है और ड्रोन का उपयोग हथियार के रूप में भी किया जाने लगा है.



यह एक सार्वभौमिक रूप में स्वीकृत सत्य है कि मानव अपने जीवन को काल में नहीं, बल्कि इतिहास में धड़कते हुए अनुभव करता है. इतिहास की व्याख्या के लिए अनेक विधाओं का उपयोग किया जाता है : व्यक्तिगत अनुभव और सांस्कृतिक संस्मरण, राजनैतिक विचारधारा और इतिहासलेखन और कभी-कभी तो खास तौर पर मिथक और कथा-कहानियाँ भी. इन्हीं विधाओं में केवल 150 वर्ष पुरानी विधा है, उपन्यास. यह विधा भारत में कुछ देरी से आई.

गत जून में भारत सरकार ने एक बेहद महत्वाकांक्षी और भविष्योमुखी कार्यक्रम की शुरुआत की थी. यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी के विकास एजेंडा का केंद्रीय मुद्दा है. स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत नये अधुनातन शहरों के निर्माण और पुराने शहरों के आधुनिकीकरण का काम शामिल होगा. इस मिशन को लेकर पत्र-पत्रिकाओं में खूब लिखा गया है और इससे लोगों ने भारी उम्मीदें भी लगा रखी हैं. भारत का तेज़ी से अंधाधुंध शहरीकरण हो रहा है और उम्मीद है कि अगले तीन दशकों में चार सौ मिलियन निवासी शहरी आबादी में शामिल हो जाएँगे.

