भारत अन्य उदीयमान शक्तियों से साथ वैश्विक बाज़ार में अपनी जगह बनाने में जुटा हुआ है और इसके लिए ज़रूरी है कि वह भारी मात्रा में बिजली की पूर्ति की प्रतिस्पर्धा में प्रभावी रूप में भाग ले. यह तभी संभव हो सकता है
संक्रमण के दौर में भारत (India in Transition)


25/04/2016

11/04/2016
संसद में आरक्षित कोटे या प्रत्याशी कोटे जैसे चुनावी कोटे का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है और इसके दीर्घकालीन विभिन्न प्रभावों को देखते हुए आम तौर पर इसका बचाव भी होने लगा है. लेकिन अधिकांश देशों में इसके प्रभावों का आकलन बहुत मुश्किल रहा है. इसका एक आंशिक कारण तो यही है कि ये नीतियाँ लंबे समय तक लागू नहीं रह पाईं.

28/03/2016
भारत में राज्यों के विधायकों की सबसे बड़ी दिक्कत है, विधायक के रूप में उनकी पदधारिता का कार्यकाल. एक बार विधायक होने पर दुबारा से विधायक चुना जाना मुश्किल हो जाता है. यह इस हद तक भ्रामक होता है कि इन पदधारियों को अपने इस राजनीतिक पद पर बने रहने का पर्याप्त लाभ उठाते हुए ही अगले चुनावों के दौरान भी अपने प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देनी होती है. उदाहरण के तौर पर उनकी यह अपेक्षा तो रहती ही है कि व्यक्तिगत स्तर पर मतदाताओं की मदद करने के कारण

14/03/2016
सारे विश्व में और निश्चित रूप से भारत में भी इंटरनैट से संबद्ध मीडिया के कारण राजनीतिक भागीदारी के क्षेत्र में नई आशा का संचार हुआ है और सार्वजनिक बहस और राजनीतिक सक्रियता के नये अखाड़े खुल गए हैं. हाल ही के अनुमान दर्शाते हैं कि भारत में लगभग 350 मिलियन इंटरनैट के उपयोक्ता हैं और पहुँच और संख्याबल की दृष्टि से देखें तो हम केवल चीन और अमरीका के ही आसपास हैं.

29/02/2016
फ़रवरी,2016 में भारत के राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम को लागू हुए दस साल पूरे हो गए. नरेगा क्रांतिकारी होने के साथ-साथ सीमित भी है. जहाँ इससे एक ओर प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सार्वजनिक निर्माण की परियोजनाओं पर साल में सौ दिन का रोज़गार मिलता है, वहीं दूसरी ओर श्रम भी बहुत ज़्यादा करना पड़ता है और मज़दूरी भी बहुत कम

15/02/2016
पिछले सप्ताह लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भारत में जाति-आधारित आरक्षण की व्यापक व्यवस्था पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर टिप्पणी की थी. सुप्रसिद्ध कानूनविद और समाज सुधारक डॉ. बी.आर.अम्बेडकर को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा था, ‘अम्बेडकर जी ने कहा था कि दस साल के लिए आरक्षण दें और दस साल के बाद पुनर्विचार करें. उन्हें तब तक उस स्तर पर ले आएँ, लेकिन हमने कुछ नहीं किया.”

01/02/2016
COP 21 में राष्ट्रीय दृष्टि से भारत के अपने निर्धारित योगदान (INDC) में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए ऊर्जा प्रौद्योगिकी के रूप में परमाणु को भी शामिल किया गया था. इस योगदान में सन् 2032 तक 63 GWe परमाणु-आधारित क्षमता के निर्माण का संकल्प किया गया था. इसे पूरा करने के लिए भारत के पास 21 रिऐक्टर हैं, जिनसे स्थापित क्षमता की केवल 5 GWe से कम ही ऊर्जा का निर्माण हो सकता है (बिजली के सभी स्रोतों से कुल

18/01/2016
अक्तूबर के मध्य में भारत के उच्चतम न्यायालय ने व्यावसायिक स्तर पर सरोगेसी प्रथा को लेकर कुछ सवाल उठाये थे.उसके बाद उसी महीने में इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप केंद्र सरकार ने भारत में सरोगेसी के लिए विदेशी जोड़ों पर प्रतिबंध लगा दिेए, लेकिन केवल बाँझ भारतीय जोड़ों को ही इसमें छूट दी गई है. थाईलैंड और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में व्यावसायिक स्तर पर सरोगेसी पर हाल ही में लगाये गये प्रतिबंध को देखते हुए इन

04/01/2016
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार को 2015 के बिहार चुनाव में भारी पराजय का सामना करना पड़ा. 2014 के राष्ट्रीय चुनाव में एनडीए ने 243 विधानसभा-क्षेत्रों में से 172 क्षेत्रों में जीत हासिल की थी, लेकिन सिर्फ़ 18 महीने के बाद हुए 2015 के बिहार के चुनाव में केवल 58 विधानसभा-क्षेत्रों में ही जीत हासिल हुई. रस्मी तौर पर किसी भी चुनाव की अंतिम शल्य-परीक्षा तो होगी ही, लेकिन इस चुनाव के माध्यम से भारत के निर्वाचक मंडल को

14/12/2015
सन् 1985 में भारत में गरीबी-विरोधी कार्यक्रमों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपने प्रसिद्ध उद्गार प्रकट करते हुए कहा था: “सरकार द्वारा आम आदमी के कल्याण पर खर्च किये गये एक रुपये में से सिर्फ़ सत्रह पैसे ही आम आदमी तक पहुँचते हैं.” इस तरह के मूल्यांकन से प्रेरित होकर सन् 1993 में 73 वाँ संशोधन पारित किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय स्तर पर सीमित रूप में ही