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संक्रमण के दौर में भारत (India in Transition)

मार्क शेंदर
14/12/2015
सन् 1985 में भारत में गरीबी-विरोधी कार्यक्रमों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपने प्रसिद्ध उद्गार प्रकट करते हुए कहा था: “सरकार द्वारा आम आदमी के कल्याण पर खर्च किये गये एक रुपये में से सिर्फ़ सत्रह पैसे ही आम आदमी तक पहुँचते हैं.” इस तरह के मूल्यांकन से प्रेरित होकर सन् 1993 में 73 वाँ संशोधन पारित किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय स्तर पर सीमित रूप में ही
रोहित चंद्र
30/11/2015
UNFCCC अर्थात् जलवायु परिवर्तन संबंधी संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के पक्षकार सम्मेलन (COP) में अपने देश के कोयले के उपयोग की गहन समीक्षा लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले कुछ वर्षों में पक्षकारों के सम्मेलनों में बढ़ा-चढ़ाकर और शब्दाडंबर से पूर्ण और उम्मीद से कहीं कम नतीजे रहे हैं. ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट नहीं है कि नतीजे ज़मीनी हकीकत से कितने जुड़े होंगे. भारत के ऊर्जा-मिश्रण का निर्धारण मुख्यतः घरेलू कारणों से ही होता है, लेकिन इस प्रकार के वार्षिक बहुपक्षीय सम्मेलनों से
फ्रैंक ओ’डॉनेल
16/11/2015

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति-निर्माण में परंपरागत रूप में केंद्रीय रणनीतिक योजना की कमी रही हैः जैसे संगठित प्रक्रिया, दीर्घकालीन लक्ष्य निर्धारित करके असैन्य और सैन्य संस्थानों में खरीद और पूर्णता के प्रयास के ज़रिये पूरी तरह से समन्वय लाना. इसके बजाय रक्षा नीति संबंधी गतिविधियों में मुख्यतः खरीद की इच्छा-सूचियों का संग्रह ही होता है. तीनों सैन्य सेवाओं द्वारा मुख्य रूप से प्रधान मंत्री द्वारा समय-समय पर शुरू की गई पहल के साथ-साथ ये सूचियाँ अलग-अलग प्रस्तुत की जाती हैं.

गज़ाला शहाबुद्दीन
02/11/2015
भारत में जैव-विविधता के संरक्षण के लिए अपनाये गये और कानूनी तौर पर स्थापित संरक्षित क्षेत्र ऐतिहासिक रूप में जैव-विविधता के संरक्षण के सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन रहे हैं. संरक्षित क्षेत्रों (PAs) के अंतर्गत मुख्यतः राष्ट्रीय पार्क और वन्यजीवन अभयारण्य आते हैं, लेकिन हाल ही में सामुदायिक रिज़र्व और संरक्षण रिज़र्व को भी इनमें शामिल कर लिया गया है. इस समय, भारत भर में लगभग 703 संरक्षित क्षेत्र (PAs) हैं, जो देश के भूमि-क्षेत्र के लगभग 5 प्रतिशत इलाके में फैले हुए हैं. ज़मीन और पानी की बढ़ती हुई माँग और
शशांक श्रीनिवासन
19/10/2015

मानव-रहित हवाई वाहनों की मदद से कुछ ऐसे रोबोट उड़ाये जा रहे हैं जिनसे मानव-सहित उड़ानों के कुछ लाभ तो मिलते हैं लेकिन, इनमें न तो कोई जोखिम उठाना पड़ता है और न ही किसी प्रकार की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती है. ड्रोन नाम से प्रचलित ये रोबोट पिछले दो दशकों से इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान में हुई प्रगति के कारण काफ़ी चर्चा में आ गए हैं. सन् 1973 में योम कुप्पूर में और सन् 1982 में लेबनान के युद्ध में जब से इनकी क्षमता प्रमाणित हुई है, कई सैन्यबलों ने इनकी मदद से निगरानी का काम शुरू कर दिया है और ड्रोन का उपयोग हथियार के रूप में भी किया जाने लगा है.

डियाने कॉफ़े
05/10/2015
स्वस्थ माताएँ स्वस्थ बच्चों को जन्म देती हैं और ये बच्चे ही बड़े होकर उपयोगी काम करते हैं| इसके विपरीत जो महिलाएँ गर्भावस्था की शुरुआत में ही बहुत दुबली-पतली रहती हैं और गर्भावस्था के दौरान भी जिनका वजन जितना बढ़ना चाहिए उतना नहीं बढ़ता, उनके नवजात बच्चों का वजन भी कम रहने की सम्भावना बनी रहती है| जन्म के समय बच्चों का कम वजन का होना नवजात बच्चों की मृत्यु, जो कि जन्म के एक महीने के अन्दर होती है, की एक मुख्या वजह है| नवजात शिशु मृत्यु-दर भारत में कुल शिशु मृत्यु दर का 70
अविनाश पालिवाल
21/09/2015
जैसे-जैसे काबुल रावलपिंडी के साथ मेल-मिलाप की कोशिश कर रहा है, भारत की अफ़गानिस्तान-नीति में बदलाव दिखाई देने लगा है. अफ़गानी अधिकारियों के कई बार निवेदन करने पर भी दिल्ली अक्तूबर, 2011 में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित और बहुचर्चित द्विपक्षीय रणनीतिक करार पर चर्चा करने और उसकी समीक्षा करने के लिए द्विपक्षीय रणनीतिक भागीदारी परिषद की बैठक आयोजित करने से हिचक रहा है.
चंद्रहास चौधरी
07/09/2015

यह एक सार्वभौमिक रूप में स्वीकृत सत्य है कि मानव अपने जीवन को काल में नहीं, बल्कि इतिहास में धड़कते हुए अनुभव करता है. इतिहास की व्याख्या के लिए अनेक विधाओं का उपयोग किया जाता है : व्यक्तिगत अनुभव और सांस्कृतिक संस्मरण, राजनैतिक विचारधारा और इतिहासलेखन और कभी-कभी तो खास तौर पर मिथक और कथा-कहानियाँ भी. इन्हीं विधाओं में केवल 150 वर्ष पुरानी विधा है, उपन्यास. यह विधा भारत में कुछ देरी से आई.

शाहाना चट्टराज
24/08/2015

गत जून में भारत सरकार ने एक बेहद महत्वाकांक्षी और भविष्योमुखी कार्यक्रम की शुरुआत की थी. यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी के विकास एजेंडा का केंद्रीय मुद्दा है. स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत नये अधुनातन शहरों के निर्माण और पुराने शहरों के आधुनिकीकरण का काम शामिल होगा. इस मिशन को लेकर पत्र-पत्रिकाओं में खूब लिखा गया है और इससे लोगों ने भारी उम्मीदें भी लगा रखी हैं. भारत का तेज़ी से अंधाधुंध शहरीकरण हो रहा है और उम्मीद है कि अगले तीन दशकों में चार सौ मिलियन निवासी शहरी आबादी में शामिल हो जाएँगे.

पॉल स्टेनलैंड
10/08/2015
मणिपुर में भारतीय सैन्यबल पर घात लगाकर किये गये हमले, नागालैंड में एनएससीएन-आईएम के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर और गुरदासपुर हमले के कारण आंतरिक सुरक्षा का प्रश्न नरेंद्र मोदी के एजेंडे में केंद्र पर आ गया है.सशस्त्र गुटों के साथ संघर्ष करने का भारत का अपना लंबा इतिहास है, फिर भले ही ये नक्सलवादी हों, आदिवासी अलगाववादी हों या कश्मीरी लड़ाके हों. फिर भी भारत ने इन सशस्त्र गुटों के साथ संघर्ष करते हुए जो अनुभव हासिल किया है, उसकी इन सशस्त्र गुटों से निपटने में लोकप्रिय और नीतिगत बयानों में लगातार अनदेखी