भारत के बकाया ऋणों की राशि में 2020 में अप्रत्याशित वृद्धि हुई. इसके आंशिक कारण तो कोविड-19 के कारण लिये गए नीतिगत निर्णय थे, लेकिन कम वृद्धि और ब्याज की अधिक दरें भी इसके कारण थे. कुछ लोगों का तर्क यह था कि ऋण का अधिक स्तर कम ब्याज की दरों के परिवेश से कम जुड़ा होने के कारण हो सकता है. लेकिन साक्ष्य का एक महत्वपूर्ण भाग ऐसे विभिन्न तंत्रों की ओर इंगित करता है जिनके माध्यम से अर्थव्यवस्था पर बकाया ऋण की उच्च दरों का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
चित्र 1.भारत के सामान्य सार्वजनिक सरकारी ऋणों में बढ़ोतरी अप्रत्याशित है. इसका आंशिक कारण घाटे में हुई अप्रत्याशित वृदधि है.