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संक्रमण के दौर में भारत (India in Transition)

मेघना मेहता
14/03/2022

जैसे-जैसे बंगाल की खाड़ी में बार-बार चक्रवात आते हैं, खारे पानी के प्रवेश से तबाह हुए गाँव झींगा मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ाने में रुचि रखने वाले निजी व्यवसायियों के लिए आकर्षक स्थल बनते जा रहे हैं.

अंकुर तमुली फुकन
28/02/2022

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा सितंबर 2021 में असम के दरांग जिले के धौलपुर चार इलाके में चलाए गए बेदखली अभियान का अंत पुलिस द्वारा दो लोगों की हत्या के साथ हुआ. तत्कालीन पूर्वी बंगाल मूल की मुस्लिम आबादी के तथाकथित मियाँओं द्वारा इन ज़मीनों पर कथित रूप से अवैध कब्जा असम के विभिन्न हिस्सों में बेदखली के अभियान को जारी रखने के लिए सही बचाव के रूप में सामने आता है.

यामिनी ऐयर
14/02/2022

जनवरी, 2022 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) संवर्ग नियम, 1954 में संशोधन करने के लिए भारत सरकार ने एक प्रस्ताव रखा था, जिसके अनुसार “केंद्र” सरकार में कार्यरत IAS अधिकारियों की सेवाओं की कमान राज्य सरकार या संबंधित नौकरशाही की सहमति (जैसा कि मौजूदा नियमों में प्रावधान है) की परवाह किये बिना ही केंद्र सरकार के अंतर्गत आ जाएगी. और जल्द ही यह मुद्दा केंद्र और राज्य के बीच विवाद का ज्वलंत मुद्दा बन गया. राज्य सरकारों के तर्क के अनुसार ये संशोधन मूल रूप से अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) के डिज़ाइन में अंतर्निहित संघीय भावना को कमज़ोर करते हैं.

नीलांजन सरकार
31/01/2022

जनवरी, 2022 में कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद कुँअर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (RPN सिंह) दल-बदल करके कांग्रेस की धुर विरोधी भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए हैं. वह कोई साधारण पार्टी कार्यकर्ता नहीं थे. सिंह कई बार कांग्रेस की टिकट पर विधान सभा के सदस्य रहे हैं, कांग्रेस के शासन में केंद्रीय मंत्री रहे हैं, युवा मोर्चे के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और उन्हें पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का करीबी भी माना जाता रहा है.

रोहित चंद्रा
17/01/2022

भारत के कारोबारी समुदाय के लिए यह दशक अस्थिरता से भरा रहा है. भारत में उदारीकरण के बाद कारोबार करने के कुछ पैटर्न पर बहुत बुरा असर पड़ा है और इसके साथ ही कई ऐसे व्यापार मालिकों की किस्मत ने भी उनका साथ नहीं दिया, जिन्होंने तीस साल पहले भारत की अर्थव्यवस्था को यथाशीघ्र खोलने के लिए अपने कारोबार को दाँव पर लगा दिया था. वित्तीय क्षेत्र के उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (HNIs) के भारत से बाहर चले जाने और कर संबंधी कारणों और धन संरक्षण के लिए वैकल्पिक नागरिकता और आवासी सुविधा पाने के इच्छुक लोगों की संख्या इस दशक में बढ़कर सबसे अधिक हो गई है.

लुईस टिलिन
03/01/2022

भारत में साम्राज्यवाद की समाप्ति के बाद जो संविधान लागू किया गया, उसमें एक नये दृष्टिकोण से संघवाद की परिभाषा की गई. उस समय तो यह ठीक ही था, लेकिन अब धीरे-धीरे क्षीण होते हुए संघवाद का स्वरूप आधा रह गया है. भारत के संघवाद के पीछे का तर्क अब उतना पैना नहीं रहा. इसने केंद्र सरकार को राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूत विशेषाधिकार तो दे दिए, लेकिन संघीय और क्षेत्रीय सरकारों की अपने-अपने कार्यक्षेत्र में स्वायत्तता होनी चाहिए.

निखित कुमार अग्रवाल
20/12/2021

26 नवंबर,2020 से दिल्ली के बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों ने हाल ही में कृषि कानूनों के खिलाफ़ अपना आंदोलन वापस ले लिया. यह विरोध मोदी सरकार के उन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ़ शुरू किया गया था, जिसके बारे में दावा किया गया था कि इनसे भारत के कृषि क्षेत्र में सुधार आएगा. कृषि उत्पादों की खरीद, बिक्री और स्टॉकिंग से संबंधित नियमों में ढील देने और भारत में खेती-बाड़ी को लिखित करार पर आधारित करने के लिए इन तीनों कानूनों को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में रद्द कर दिया गया.

हेमांगिनी गुप्ता
06/12/2021

उद्यमी और राज्य के पदाधिकारी “बैंकऐंड” के काम के लिए दुनिया-भर में चर्चित बैंगलोर का कायाकल्प उद्यमिता और नवाचार के नये स्टार्टअप के रूप में करते रहे हैं. सन् 2012 से मैं उन तमाम स्थलों और परिपाटियों को ट्रैक करती रही हूँ जिनके ज़रिये इस “स्टार्टअप नगर” का निर्माण हुआ है. उद्यमियों के तौर पर विकसित होते नागरिकों का एक महत्वपूर्ण स्थल महिला उद्यमियों पर विशेष रूप से केंद्रित होने के कारण ही आगे बढ़ रहा था.

मैथ्यू आईडिकुला
22/11/2021

जब भी हमारे शहरों पर कोई बड़ा संकट आता है तो भारत में शहरी नियोजन का "अव्यवस्थित" स्वरूप अक्सर सार्वजनिक बहस का मुद्दा बन जाता है, जैसे कि हाल ही में चेन्नई शहर में आई बाढ़ के बाद हुआ था. चूँकि शहरी नियोजन और इसके प्रवर्तन को आम तौर पर भारत के "निष्क्रिय" शहरों के लिए ज़िम्मेदार घोषित कर दिया जाता है, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि भारत की मौजूदा शहरी नियोजन व्यवस्था के मूलभूत तत्वों की गहन पड़ताल की जाए. हमें भारत में शहरी नियोजन के संस्थागत ढाँचे के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न पूछने होंगेः शहर की योजना बनाने का अधिकार किसके पास है?

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फ्रैंसिस कुरियाकोज़ एवं दीपा किलसम ऐय्यर
08/11/2021

जहाँ एक ओर कोरोना वायरस की महामारी की पहली लहर के परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था को लगभग पूरा लॉकडाउन झेलना पड़ा, वहीं अपने कामगारों के विरोध के कारण डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लगभग भूचाल-सा आ गया. स्विग्गी जैसे डिलीवरी सर्विस प्लेटफार्मों को भुगतान में बार-बार कटौती करने और उनके मासिक प्रोत्साहन में ऐसे समय में कमी करने के कारण कामगारों के आंदोलन का सामना करना पड़ा, जब उन्हें व्यक्तिगत स्वास्थ्य को खतरे में डालते हुए कंटेनमैंट ज़ोन में डिलीवरी के लिए सड़कों पर पुलिस बल से हिंसा का सामना करने के लिए मज़बूर होना पड़ा था.