‘अंडरग्राउंड से दोस्तोवस्की के नोट्स (1864)’ के एक दिलचस्प भाग में, नायक (एक साधारण क्लर्क), एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा अमानवीय व्यवहार करने और "अदृश्य" की तरह व्यवहार किए जाने से व्याकुल होकर बदला लेने की सोचता है.
संक्रमण के दौर में भारत (India in Transition)


कमज़ोर तबके की महिलाओं को बिना जमानत के सूक्ष्म वित्त (Microfinance) के रूप में उधार देने की प्रथा भारत की वित्तीय खबरों पर हावी रहती है. इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नये निवेश घरेलू और वैश्विक दोनों पूँजी स्रोतों से आते हैं. इस प्रकार के निवेश यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत के बैंकिंग ईकोसिस्टम के अंतर्गत दर्जनों सूक्ष्म-वित्त संस्थानों (MFIs) के लिए हाशिये के समूहों का "वित्तीय समावेशन" एक आकर्षक उद्यम बना रहता है. सिर्फ़ एक दशक पहले ही भारत के सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र पर मीडिया के आक्रोश बना रहता था.
सन् 1998 में, जापान ने भारत के परमाणु परीक्षणों की तीखी आलोचना की थी और कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाये थे. यद्यपि भारत और जापान के बीच राजनयिक संबंध 1952 में ही स्थापित हो गए थे, लेकिन उसमें तेज़ी शीत युद्ध समाप्त होने के बाद ही आई. भारत के इन परमाणु परीक्षणों ने नये उभरते संबंधों को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया, लेकिन तब से लेकर अब तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है और सन् 2000 में तत्कालीन जापानी प्रधान मंत्री योशीरो मोरी की भारत की ऐतिहासिक यात्रा के कुछ समय के बाद द्विपक्षीय संबंधों में फिर से तेज़ी आ गई.

नई दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) अपनी चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता और लोकप्रियता के लिए प्रसिद्ध है. दिलचस्प बात तो यह है कि इस अस्पताल ने भारत की कई डिजिटल स्वास्थ्य संबंधी पहल के लिए एक महत्वपूर्ण टैस्टबैड का भी काम किया है. यह उन पहले अस्पतालों में से एक था, जिसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की ई-अस्पताल प्रणाली के अंतर्गत क्लाउड-आधारित अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली के रूप में अपनाया गया था. सन् 2016 में इस अस्पताल में आधार ID पर रोगियों के निःशुल्क पंजीकरण की घोषणा की गई थी.

मई 2021 में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम के नेतृत्व में सत्ता में आने के बाद मौजूदा तमिलनाडु सरकार ने जो आरंभिक कदम उठाये,उनमें से एक था, सरकारी पत्राचार में से "केंद्र सरकार" के शब्द को हटाना. भारत सरकार को संघ सरकार (ओन्ड्रिया अरासु) के बजाय केंद्र सरकार (मथिया अरासु) के रूप में संबोधित करने के तमिलनाडु के निर्णय का स्पष्ट उद्देश्य भारतीय परिसंघवाद के बढ़ते प्रयोग को रोकना था. एक लेखक और तमिल भाषाकर्मी आजी सेंथिलनाथन ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि नाम में यह परिवर्तन परिसंघीय ढाँचे और राज्य की स्वायत्तता पर मँडराते हुए खतरे के कारण ज़रूरी था.

पिछले एक दशक में वितरण व्यवस्था को अधिक कारगर बनाने के लिए भारत में अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू किये गए थे. इसका यही मतलब है कि राजनेता लीकेज, विवेकाधिकार और पक्षपात को कम करने वाले टैक्नोलॉजी से जुड़े समाधानों का उपयोग करके अंतिम छोर तक वितरण-व्यवस्था में सुधार लाना चाहते हैं. The Economist द्वारा किये गए एक अनुमान के अनुसार “हाई-टैक कल्याणकारी सुरक्षा-नैट” में लगभग 300 योजनाएँ आती हैं, जिनसे 950 मिलियन लोग लाभान्वित हुए हैं.

भारत की जनता मानती है कि सरकारी अधिकारियों में भ्रष्टाचार आम बात है और इससे पता चलता है कि सरकारी मशीनरी में पारदर्शिता का अभाव है. ऐसी परिस्थिति में, तंबाकू बोर्ड के खिलाफ़ भ्रष्टाचार के बार-बार आरोप लगना कोई अपवाद नहीं है. यह संस्था राज्य नियामक प्राधिकरण है और इसका काम भारत में सिगरेट-तंबाकू संबंधी नीलामी की मध्यस्थता करना है. 2016 में आंध्र प्रदेश में बोर्ड द्वारा विनियमित नीलामी के मंच पर मेरे फील्डवर्क के दौरान, निजी क्षेत्र के तंबाकू व्यापारियों और तंबाकू किसानों दोनों के द्वारा ही बाज़ारों में सरकारी कार्रवाइयों पर सवाल उठाते हुए अक्सर इस तरह के आरोप लगाये जाते थे.

दिसंबर 2022 की शुरुआत में, लोकसभा और राज्यसभा ने नारिकुरवर (नारिकोरवन के प्रस्तावित नाम परिवर्तन के साथ) और कुरुविक्करण समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के पक्ष में मतदान किया. 2 जनवरी, 2023 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद इस विधेयक को नारिकुरवर समुदाय द्वारा अपनी विजय के रूप में घोषित किया गया. उन्होंने कहा कि "यह पहली बार है जब हमारे अनुरोध को आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है और संसद के दोनों सदनों द्वारा इसे पारित किया गया है. हम उन सभी राजनेताओं के प्रति आभारी हैं जिन्होंने इस विधेयक को पारित करवाने में मदद की है.

सन् 1992 में, जब फ़िल्म इतिहासकार रिचर्ड स्किकेल ने अकादमी पुरस्कार समिति के कहने पर, भारतीय फ़िल्म निर्माता सत्यजीत रे की फ़िल्म क्लिप्स के आधार पर एक मोंताज तैयार किया था, तो उन्हें यू.के. में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन और चैनल 4 से फ़ुटेज का अनुरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा था, जबकि अमेरिका में ऐसा कुछ नहीं हुआ था.
क्या रे की कृति “relic of a bygone” पहले से ही पुराने ढंग की थी या उसमें सार्वभौमिकता - रे के सिनेमा के एक विशिष्ट मार्कर – के तत्व मौजूद थे, जो उस समय असंभव-से लगते थे?

जब तक मुस्लिम प्रतिनिधित्व के दो लोकप्रिय, लेकिन विवादग्रस्त अर्थों पर विचार नहीं किया जाता, तब तक समकालीन भारत में मुस्लिम राजनीति पर बहस पूरी तरह से निरर्थक ही रहने वाली है. सामान्य अर्थ में, मुस्लिम प्रतिनिधित्व को एक मानक आदर्श के रूप में विकसित किया गया है. यह तर्क दिया जाता है कि विधायी निकायों में मुस्लिम सांसदों और विधायकों की पर्याप्त उपस्थिति से ही लोकतंत्र की राजनीति, सुचारू और प्रभावी ढंग से सुनिश्चित होती है.