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अपने पुराने पड़ोसी देशों के साथ भारत के नये कारोबारी रिश्ते

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06/05/2019
सूज़न मैथ्यू

पिछले दशक में भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ, खास तौर पर बांग्ला देश, भूटान और नेपाल के साथ क्षेत्रीय कारोबार कुछ हद तक बढ़ा लिया है. इस समय भारत का दक्षिण एशिया में $19.1 बिलियन डॉलर का वास्तविक कारोबार है. यह कारोबार उसके $637.4 बिलियन डॉलर के कुल वैश्विक कारोबार का मात्र तीन प्रतिशत है और संभावित कारोबार से $43 बिलियन डॉलर कम है. हाल ही के अनुमान के अनुसार मानव-निर्मित कारोबारी प्रतिबंधों में कमी होने से दक्षिण एशिया के कारोबार में तीन गुना वृद्धि हुई है और यह कारोबार $23 बिलियन डॉलर से बढ़कर $67 बिलियन डॉलर हो गया है.

एक ज़माना था जब भारत भूराजनीतिक दुर्गों से घिरा था और आर्थिक असुरक्षा से ग्रस्त था. उन तमाम पुराने दिनों के बोझ को हटाकर अब भारत "स्वतंत्र, खुले और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र" की वकालत कर रहा है. भारत गैर-टैरिफ़ कारोबार की बाधाओं को कम करने के लिए कृत संकल्प है ताकि वह अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमापार कारोबार और कनेक्टिविटी को बढ़ा सके.

इस परिदृश्य में भारत के आर्थिक विकास को प्रशस्त करने की यह कहानी उसकी आर्थिक प्रगति के द्विपक्षीय सहयोग के तीन आयामों को प्रकट करती है.

सीमांत हाट के ज़रिये कारोबार
मात्र कूटनीतिक साधन होने के बावजूद भारत और बांग्ला देश के बीच के बाज़ारों में भारी मात्रा में आर्थिक कारोबार पनप रहा है. आरंभ में सीमांत हाट अनौपचारिक मंडियों के ज़रिये सुदूरवर्ती सीमांत इलाकों के आस-पास रहने वाले समुदायों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत सीमापार के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था.

दिलचस्प बात तो यह है कि सन् 2010 में भारत और बांग्ला देश के बीच हस्ताक्षरित पहले समझौता ज्ञापन की कालावधि सन् 2013 में समाप्त हो गई थी, लेकिन ज़मीनी हकीकत यही थी कि सीमांत हाट सन् 2017 तक भी हाट समितियों के बीच "अच्छे भरोसे" पर चलती रही.

सन् 2017 में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन में सीमांत हाट की आर्थिक क्षमता को स्वीकार किया गया था. यही कारण है कि हाट की खरीद क्षमता की सीमा बढ़कर $200 डॉलर तक पहुँच गई है और समझौता ज्ञापन की कार्यावधि अपने-आप ही अब अगले पाँच वर्षों तक बढ़ गई है.

केवल सन् 2019 में ही एक अनुमान के अनुसार त्रिपुरा और मेघालय के साथ लगने वाली अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर भारत और बांग्ला देश छह और सीमांत हाटों की स्थापना करने जा रहे हैं. भारत की मंशा है कि भारत- म्यांमार की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर भी लगभग नौ सीमांत हाट स्थापित करने के लिए इसी प्रकार के समझौता-ज्ञापन म्यांमार के साथ भी हस्ताक्षरित किये जाएँ. सीमांत हाटों से यह साबित हो गया है कि बांग्ला देश जैसे पुराने पड़ोसी देश के साथ भारत के समकालीन रिश्तों में भरोसे की कमी को (स्थानीय समुदायों के बीच भी) खत्म किया जा सकता है.

जलमार्गों के ज़रिये कनेक्टिविटी
बांग्ला देश, भूटान और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ भारत की सीमा से लगी अनेक नदियाँ और सहायक नदियाँ बहती हैं. संकरे सड़क-मार्गों और ईंधन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के कारण जलमार्गों का पुनरुद्धार करके बांग्ला देश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) में उन्हें वैकल्पिक और ईको-फ्रैंडली यातायात के साधन के रूप में विकसित किया जा रहा है. समुद्री कनेक्टिविटी की रणनीति के अनुसार भारत ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से लगे तटवर्ती क्षेत्रों के साथ-साथ अनेक जलमार्ग शुरू करने की पहल की है. भूटान और नेपाल भारत के इन जलमार्गों के ज़रिये बंगाल की खाड़ी की बड़ी-बड़ी मंडियों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए बहुत उत्सुक हैं. हाल ही में भूटान नारायणगंज नदी पोर्ट के ज़रिये बांग्ला देश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) के बीच जलमार्गों के उपयोग के लिए हस्ताक्षरित समझौता-ज्ञापन उभरती हुई आर्थिक गतिविधियों का एक नीतिगत साक्ष्य है.

परंपरागत तौर पर, भारत बांग्ला देश और नेपाल के साथ सहयोग करते हुए "जल-कूटनीति" से जुड़े अनेक मोर्चों पर लड़खड़ा गया है. भारत के लिए यह एक आदर्श अवसर सिद्ध हो सकता है, बशर्ते कि वह परस्पर लाभप्रद व्यापार व्यवस्था के लिए भरोसे को कायम करने के लिए अपने पड़ोसी देशों को समुद्र तक पहुँच प्रदान करने के लिए उन्हें जलमार्गों की सुविधा प्रदान कर दे.

उदाहरण के लिए नेपाल इस समय समुद्री व्यापार के लिए भारत के समुद्री पोर्ट का इस्तेमाल करने के प्रयोजन से कोलकाता पोर्ट पर किराये के मॉडल का उपयोग करता है. इसी तरह नेपाल भारत के जलमार्गों तक पहुँचने के लिए भारत के साहबगंज मल्टी-मोडल रिवर पोर्ट का इस्तेमाल कर सकता है. इसी तरह भूटान को चटगाँव पोर्ट तक आगे के जलमार्गों की कनेक्टविटी देने के लिए असम में पांडु नदी के पोर्ट तक पहुँचने की सुविधा प्रदान की जा सकती है. इसी तरह स्थानीय तौर पर स्थायी आर्थिक विकास के लिए भारत-बांग्ला देश प्रोटोकोल नदी-मार्ग पर नदी के तट के आस-पास रहने वाले समुदायों के लिए नदी पर्यटन एक महत्वपूर्ण गतिविधि रही है. समग्र तौर पर बांग्ला देश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) के बीच व्यापार और पारगमन के लिए स्थायी नौवहन का लाभ उठाने के लिए भारत के पास अपने सीमापार विनियमों में बदलाव करने और जल-समझौते करने की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं.

ऊर्जा नैटवर्क के ज़रिये विकास
भारत बांग्ला देश के ज़रिये म्याँमार में अपनी एलएनजी पाइपलाइन नैटवर्क का विस्तार करने के लिए बहुत उत्सुक है. पूर्वोत्तर भारत के हाइड्रोकार्बन विज़न 2030 के अंतर्गत सिटवे (म्याँमार में) और परबतीपुर (बांग्लादेश में) में गैस पाइपलाइन को बढ़ाने की क्षमता की पहचान कर ली गई है. मोतीहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन दक्षिण एशिया की पहली ट्रांसनैशनल पैट्रोलियम पाइपलाइन है. इसका उद्देश्य भारत और नेपाल के बीच स्थायी आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है.

वैकल्पिक तौर पर भारत ने नेपाल और भूटान के साथ पनबिजली निर्माण के लिए सकारात्मक आर्थिक रिश्ते बना लिए हैं. भारत ने सन् 2014 में नेपाल के साथ एक ऐसे पावर ट्रेड समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जिससे भारतीय कंपनियों द्वारा नेपाल में स्थापित होने वाले भावी पनबिजली संयंत्रों से सरप्लस बिजली आयात करने का ढाँचा और भी मज़बूत हो गया है. भारत ने घरेलू खपत के लिए भूटान (चुखा, कुरिचू, और ताला) में तीन पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण किया है, जो भारत को सरप्लस बिजली का निर्यात भी करती हैं.

जैसे-जैसे बांग्ला देश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) अलग-अलग आर्थिक पावरहाउस के रूप में उभरते जाएँगे, उनके बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए ऊर्जा की माँग भी बढ़ती जाएगी. आदर्श रूप से भारत एक ऐसी स्थिति में है कि वह भौगोलिक और आर्थिक रूप में अपने पड़ोसियों के आर्थिक विकास में भागीदार बनने और आर्थिक विकास होने पर उनसे सामान खरीदने के लिए अग्रसर हो सकता है.

अगर कारोबार रुकता है तो युद्ध के बादल छा जाएँगे.
सन् 2016 में व्यापार सुविधा के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ करार की पुष्टि के बाद, भारत ने व्यापार सुविधा पर राष्ट्रीय समिति का गठन किया है. समिति के पास अब भारत के अपने पुराने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देने और संबंध सुधारने के लिए ₹ 4500 करोड़ के सीमावर्ती व्यापार योजना का फ़ास्ट ट्रैक एजेंडा है. इस पहल के एक भाग के रूप में, भूमि कस्टम स्टेशनों (LCS) को उन्नत करके सिर्फ़ उनकी भूमि सीमाओं के साथ उन्हें एकीकृत चैक पोस्ट (ICP) में परिवर्तित करने से सीमा व्यापार की मात्रा को दो गुना बढ़ा दिया गया है. इसलिए भारत बांग्ला देश, भूटान और नेपाल से लगने वाली अपनी भूमिगत सीमाओं पर व्यापार की ढाँचागत सुविधाओं को बढ़ाने के लिए अपने घरेलू बजट को बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प है.

पाकिस्तान के साथ भारत के व्यापार समीकरण में एक बाहरी तत्व है, उसके साथ सीमा पार व्यापार. भारत और पाकिस्तान ने मात्र $2 बिलियन डॉलर का व्यापार मूल्य ही दर्ज किया है, जबकि कृत्रिम बाधाओं के बावजूद भी इस व्यापार में $37 बिलियन डॉलर तक की वृद्धि की संभावना है. राजनीतिक संघर्ष के कारण दोनों देशों के बीच का औपचारिक व्यापार तीसरे देश के ज़रिये होता है. यही कारण है कि क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखला के लाभ से दोनों देश वंचित हो गए हैं. इसके फलस्वरूप पाकिस्तान के साथ अपने व्यापार संबंधों को सुधारना भारत के लिए कठिन होता जाएगा.

भारत चतुर्भुज सुरक्षा संवाद में कमज़ोर कड़ी की अपनी छवि को सुधारने के लिए भी उत्सुक है. निवेश के बेहतर उपयोग के कारण लाये गए 2018 के विकास अधिनियम (BUILD) के साथ लागू 2018 के द एशिया रीऐश्योरेंस इनीशिएटिव ऐक्ट (ARIA) से यह संकेत मिलता है कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में अमरीकी हित बढ़ते जा रहे हैं. ARIA और BUILD भारत के "स्वतंत्र, खुले और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ाने" की नीति के साथ शब्दशः निकटता से जुड़े हुए हैं.” इसलिए इस क्षेत्र के अपने पुराने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार, कनैक्टिविटी और ऊर्जा नैटवर्क के क्षेत्र में नई आर्थिक भागीदारी करने से इस क्षेत्र में उसकी सुरक्षा संबंधी मज़बूत उपस्थिति सुनिश्चित हो सकेगी.

इसलिए भारत के लिए ज़रूरी है कि वह बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ व्यापार को सुगम बनाने के लिए घातीय बुनियादी ढाँचे के विकास के कार्य में जुटा रहे. तेज़ी से अस्थिर होते हुए वैश्वीकरण के दौर में, भारत यह स्वीकार करता है कि उसे अपने विदेशी भागीदारों के साथ मिलकर रहना होगा और अपने निकटवर्ती पड़ोसियों के साथ तो और भी अधिक मिलकर रहना होगा. इस ज़रूरत को पूरा करने का यही एक विकल्प है कि वह या तो व्यापार और पारगमन के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करे या फिर रणनीतिक भू-राजनीतिक सुरक्षा हैंग-अप को स्वीकार करे. जैसे-जैसे दक्षिण एशिया आर्थिक विकास की ओर अग्रसर हो रहा है, भारत को भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर अपने पुराने पड़ोसी देशों के साथ नए कारोबारी रिश्ते कायम करने होंगे.

सूज़न मैथ्यू CUTS इंटरनेशनल में नीति-विश्लेषक हैं.

 

हिंदी अनुवादः डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (राजभाषा), रेल मंत्रालय, भारत सरकार <malhotravk@gmail.com> / मोबाइल : 91+9910029919