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यार्ड का निर्माण: भारत में कृत्रिम मेधा (AI) के लिए नीतिगत विचार

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26/02/2024
भरत रेड्डी

कृत्रिम मेधा (AI) में मानवीय क्षमताओं को बढ़ाने और कई उद्योगों में विकास को बढ़ावा देने की अपार क्षमता है. इससे शासन, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और शिक्षा परिणामों में काफी सुधार होने की आशा है. परंतु, इसकी क्षमता का तब तक एहसास नहीं हो सकता है जब तक कि कृत्रिम मेधा (AI) के निर्माण ब्लॉक कुछ प्रमुख कंपनियों या उन देशों के हाथों में केंद्रित रहेंगे जहाँ वे स्थित हैं.

भारत में कृत्रिम मेधा (AI) अपनाने की प्राथमिकताएँ काफी भिन्न हो सकती हैं. विजय केलकर और अजय शाह के अनुसार किसी देश के लिए भारी संख्या में लेनदेन कर प्रणाली वाली प्रक्रियाएँ सबसे कठिन चुनौतियाँ होती हैं, इनमें विवेक की आवश्यकता होती है, व्यक्तियों पर भारी दाँव लगाया जाता है और कुछ हद तक गोपनीयता भी होती है. कृत्रिम मेधा (AI) अपनाने से लेन-देन की मात्रा और विवेक जैसे कुछ आयामों पर ऐसी चुनौतियों की जटिलता कम हो सकती है. इससे देश की क्षमता की सीमाओं को पार करना और बेहतर प्रशासन और सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करना आसान हो जाता है. दूसरी ओर, बड़े पैमाने पर कृत्रिम मेधा (AI) को अपनाने से कम-कुशलता वाले रोज़गार की उपलब्धता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिस पर भारत की श्रम शक्ति का एक बड़ा हिस्सा निर्भर करता है. इस प्रकार, भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ विकसित देशों से काफ़ी भिन्न हो सकती हैं.

प्रौद्योगिकी और भू-राजनीति तेज़ी से एक-दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं. बहुत-से देशों ने उन तमाम महत्वपूर्ण और उदीयमान प्रौद्योगिकियों का पता लगा लिया है जो राष्ट्रीय रक्षा और आर्थिक विकास के लिए अनिवार्य हैं. जिन देशों ने कृत्रिम मेधा (AI) की विशेषताओं को सूचीबद्ध करने  की घोषणा की है उनमें अमरीका, यू.के. यूरोपियन संघ, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. ये प्रौद्योगिकियाँ न केवल केंद्रबिंदु हैं बल्कि रणनीतिक हित के क्षेत्र भी हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका के नीति निर्माता महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिए "ऊँची बाड़ सहित छोटे यार्ड" के विचार को क्रियान्वित कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य मूलभूत प्रौद्योगिकियों के लिए चोकपॉइंट्स को अमेरिकी नियंत्रण में रखना है. महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में प्रतिद्वंद्वियों से कुछ पीढ़ियाँ आगे रहने के अपने दीर्घकालिक दृष्टिकोण से, अमेरिका का केंद्रबिंदु अब यही है कि "जितना संभव हो उतनी बड़ी बढ़त बनाए रखी जाए".

इन विचारों को देखते हुए, भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के संबंध में रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के तरीके खोजने होंगे.

इनपुट
कृत्रिम मेधा (AI) सिस्टम के विकास के लिए विभिन्न प्रकार के इनपुट की आवश्यकता होती है: डेटा, गणना, मॉडल और ऐप्लिकेशन. इस प्रकार के इनपुट को विभिन्न परतों के रूप में देखा जा सकता है, जिनमें मॉडल के अंतर्गत डेटा और गणना का योगदान होता है, जो बदले में अनुप्रयोगों का समर्थन करता है.

कृत्रिम मेधा (AI) के मॉडल या ऐप्लिकेशन विकसित करने वाली कंपनियों को इनमें से प्रत्येक चरण में प्रवेश की बाधाओं का सामना करना पड़ता है. किसी एकल कंपनी के लिए लंबवत् एकीकरण के माध्यम से कई चरणों को नियंत्रित करना असामान्य बात नहीं है. उदाहरण के लिए सप्लाई चेन की विभिन्न अवस्थाओं के आरपार गूगल के उच्च स्तर के एकीकरण के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है. इसका संचालन विशाल मात्रा में स्वामित्व के डेटा का उपयोग करके मालिकाना कंप्यूटिंग बुनियादी ढाँचे पर अपने स्वयं के कृत्रिम मेधा (AI) मॉडल को विकसित करने और प्रशिक्षित करने से लेकर होता है. यह क्लाउड सेवाएँ भी प्रदान करता है और इसने वैब और ऐंड्रॉयड के उपयोगकर्ताओं से संबंधित विभिन्न अनुप्रयोगों को कृत्रिम मेधा (AI) के सिस्टम में एकीकृत कर दिया है. सप्लाई चेन के प्रत्येक चरण के लिए कई प्राथमिक विचार आवश्यक हैं.

डेटा
बड़े, विविध और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा सेट पर प्रशिक्षित मॉडल बेहतर प्रदर्शन करते हैं. अध्ययन से अनुमान लगाया गया है कि बड़े भाषा मॉडलों के प्रशिक्षण के लिए पुस्तकों, शैक्षणिक पत्रों, समाचार लेखों और विकिपीडिया जैसे स्रोतों से उच्च गुणवत्ता वाला डेटा 2027 तक समाप्त होने की संभावना है. इस प्रकार, कृत्रिम मेधा (AI) के मॉडल के प्रशिक्षण के लिए मालिकाना डेटा तक पहुँच एक महत्वपूर्ण अंतरक हो सकती है. इसमें GitHub पर उपलब्ध व्यापक कोड रिपॉजिटरी, खोज इंजन द्वारा उनकी वेब क्रॉलिंग गतिविधियों से संकलित क्रमबद्ध और वर्गीकृत वेब इंडेक्स या ज़ूम जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के अनुप्रयोगों से ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे डेटा शामिल हैं.

नेटवर्क प्रभाव के कारण बड़े तकनीकी प्लेटफॉर्म एकाधिकार या द्वयाधिकार वाले होते हैं. यह बाज़ार समेकन सर्च इंजन और सोशल मीडिया से लेकर राइड-शेयरिंग और फूड-डिलीवरी सेवाओं तक विभिन्न प्लेटफार्मों पर दिखाई देता है. मालिकाना डेटा तक पहुँच से लेकर उपयोगकर्ता के व्यवहार के पैमाने और अंतर्दृष्टि इन कंपनियों को प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर नवाचार करने में मदद करती है.कृत्रिम मेधा (AI) की ऐप्लिकेशन विकसित करते समय, मालिकाना डेटा तक पहुँच इन कंपनियों को बढ़त देती है. यह कृत्रिम मेधा (AI) के अनुप्रयोगों को उनकी मौजूदा पेशकश में एकीकृत करने में भी मदद करता है, जिससे बाजार की शक्ति और मजबूत होती है.

अनुसंधान से यह भी पता चलता है कि चिकित्सा संबंधी निदान, लिंग वर्गीकरण, पुनरावृत्ति की भविष्यवाणी और अन्य क्षेत्रों में कृत्रिम मेधा (AI) के उपयोग के मामलों में निष्पक्षता के ऐसे मुद्दे मौजूद हैं जहाँ प्रशिक्षण डेटा में कुछ समूहों का प्रतिनिधित्व कम रहता है. इससे अल्पसंख्यकों, महिलाओं, बुजुर्गों और कमज़ोर वर्ग के लोगों के लिए उच्च त्रुटि दर और पक्षपाती परिणाम हो सकते हैं.

भारत की अद्भुत विविधता को देखते हुए, सरकार सार्वजनिक रूप से ऐसे सुलभ खुले डेटासेट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है जो आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे डेटासेट अनुसंधान और व्यावसायिक दोनों ही प्रकार के अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण सकारात्मक बाहरी कारक हो सकते हैं. भाषिणी भारत सरकार की एक ऐसी पहल है जो भारतीय भाषाओं की विविधता को रेखांकित करने और वास्तविक समय में अनुवाद के लिए ओपन-सोर्स डेटाबेस और उपकरण प्रदान करने का प्रयास करती है.

गणना
कृत्रिम मेधा (AI) का प्रशिक्षण और उपयोग आम तौर पर कंप्यूटनेशनल बुनियादी ढाँचे के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग सेवाओं पर निर्भर करता है, जो हार्डवेयर का मालिक होने के साथ-साथ विकासकर्ताओं और उपयोगकर्ताओं के लिए एक पसंदीदा विकल्प है. क्लाउड सेवा प्रदाता (CSPs) अक्सर कृत्रिम मेधा (AI) के अनुसंधान और विकास के लिए कंप्यूटिंग संसाधनों पर पर्याप्त छूट की पेशकश करते हैं, जिनका लक्ष्य क्षेत्र के विस्तार के साथ-साथ एक मज़बूत बाज़ार की स्थिति को सुरक्षित करना है.

इन तमाम लाभों के बावजूद इस मॉडल के कारण कुछ चिंताएँ भी उभरने लगी हैं.  पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के कारण, अमेज़ॉन वेब सर्विसेज़, माइक्रोसॉफ्ट एज़्योर और गूगल क्लाउड जैसे प्रमुख क्लाउड सेवा प्रदाता (CSPs) बाजार पर हावी हैं, जो सामूहिक रूप से वैश्विक स्तर पर 65 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं. हालाँकि बाजार का यह संकेद्रण चिंता का कारण नहीं है, लेकिन अग्रणी प्रमुख क्लाउड सेवा प्रदाता (CSPs) कृत्रिम मेधा (AI) की सप्लाई चेन के अन्य चरणों में भी प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिसमें विकासशील मॉडल और ऐप्लिकेशन शामिल हैं. यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि क्लाउड कंप्यूटिंग सेवाओं के साथ लंबवत् एकीकरण सप्लाई चेन के अन्य हिस्सों में प्रतिस्पर्धा में बाधा न बने. भारत सहित प्रतिस्पर्धा नियामकों को प्रतिबंधात्मक अनुबंध, स्विचिंग सेवाओं के लिए उच्च लागत, या अनुचित मूल्य निर्धारण संबंधी रणनीतियों जैसी प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के बारे में सतर्क रहना चाहिए.

इसके अलावा, NVIDIA चिप निर्माता, कृत्रिम मेधा (AI) से संबंधित कार्यों के लिए आवश्यक सेमीकंडक्टर चिप्स वाले GPU के लिए बाजार की हिस्सेदारी का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रखता है. बाज़ार का यह प्रभुत्व NVIDIA के बाज़ार में शुरुआती प्रवेश और इसके मालिकाना कंप्यूटिंग प्लेटफ़ॉर्म, CUDA को व्यापक रूप से अपनाने से उपजा है. जहाँ एक ओर तीव्र प्रतिस्पर्धा से दीर्घावधि में विकल्प तैयार होने की संभावना है, वहीं यह एक भू-राजनीतिक जोखिम बना हुआ है जिसे कम करने की आवश्यकता है.

मॉडल
ब्रेन ऐंड कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार भारत कृत्रिम मेधा (AI) का प्रतिभा हब है जो वैश्विक कृत्रिम मेधा (AI) की वर्कफ़ोर्स का 16 प्रतिशत है और इसका स्थान विश्व के तीन उच्च स्थानों में है. हालाँकि, भारत में कृत्रिम मेधा (AI) के शीर्ष स्तरीय शोधकर्ताओं की भारी कमी है, जो बौद्धिक संपदा उत्पन्न करने या कृत्रिम मेधा (AI) के एल्गोरिदम को डिजाइन और प्रशिक्षित करने में लगे हुए हैं. अमेरिकी थिंक टैंक मैक्रोपोलो के शोध से पता चलता है कि भारत के 80 प्रतिशत से अधिक प्रमुख कृत्रिम मेधा (AI) के शोधकर्ता विदेशों में स्थानांतरित हो जाते हैं.

इन रुझानों से पता चलता है कि डेटा और गणना के चरणों में बाधाओं के साथ-साथ विशिष्ट कौशल में कमी के कारण, भारतीय कंपनियाँ - जो भारतीय प्रतिभा पर बहुत अधिक निर्भर हैं - को विश्व स्तरीय मॉडल बनाना चुनौतीपूर्ण लगेगा. परंतु, वे कृत्रिम मेधा (AI) के मॉडल पर आधारित ऐप्लिकेशन विकसित करने जैसे अन्य इंजीनियरिंग संबंधी कौशल-आधारित कार्यों को प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे.

इसके अतिरिक्त, कृत्रिम मेधा (AI) के अत्याधुनिक मॉडल विकसित करने के लिए पर्याप्त डेटा, कंप्यूटिंग शक्ति और तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, और उद्योग इन संसाधनों को अकादमिक क्षेत्र से बेहतर तरीके से जुटा सकता है. इसके अलावा, अत्याधुनिक कृत्रिम मेधा (AI) का मॉडल विकसित करने के लिए पर्याप्त डेटा की आवश्यकता होती है.

इस प्रवृत्ति को कृत्रिम मेधा (AI) से संबंधित स्टैनफोर्ड इंडेक्स रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है, जिससे पता चलता है कि 2022 में, उद्योग संस्थाओं ने शिक्षा जगत् द्वारा किये गए केवल तीन मशीन लर्निंग मॉडल के मुकाबले बत्तीस महत्वपूर्ण मशीन लर्निंग मॉडल तैयार किए. इस प्रकार, कृत्रिम मेधा (AI) की क्षमताओं के निर्माण के लिए सरकारी हस्तक्षेप को उद्योग और शिक्षा दोनों को नवाचार में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में मानना चाहिए.

ऐप्लिकेशन
अंत में, कृत्रिम मेधा (AI) के ईको सिस्टम के अन्य चरणों से जुड़ी चिंताओं के निवारण के लिए ऐप्लिकेशन चरण में प्रतिस्पर्धी बाजार का मार्ग प्रशस्त होगा. परंतु कृत्रिम मेधा (AI) सिस्टम से जुड़े जोखिमों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक रूपरेखा की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें जिम्मेदारी से बनाया गया है. अमेरिका के राष्ट्रीय मानक और प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित कृत्रिम मेधा (AI) के जोखिम प्रबंधन ढाँचे जैसे ढाँचे के साथ किया गया संरेखण जीवन चक्र में व्यवस्थित रूप से जोखिमों का आकलन करने और कम करने में मदद कर सकता है.

चूँकि कृत्रिम मेधा (AI) को बेहतर ढंग से समझने और नियंत्रित करने के लिए वैश्विक प्रयास चल रहे हैं, इसलिए भारत को प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाने और इससे मिलने वाले लाभों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करने के लिए अपनी विशिष्ट स्थितियों और मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल पर विचार करने की आवश्यकता है.यह लेख और उससे संबंधित चर्चा से जुड़ा दस्तावेज़ राष्ट्रीय हित के परिप्रेक्ष्य में कृत्रिम मेधा (AI) शासन पर आधारित है और कृत्रिम मेधा (AI) की सप्लाई चेन के प्रत्येक चरण में कुछ प्राथमिक चिंताओं पर प्रकाश डालता है. इन चिंताओं को पहचानना ज़रूरी है, क्योंकि वे प्रत्येक चरण के अनुरूप लक्षित नीतिगत उपायों को आकार देने के लिए आधार तैयार करते हैं.

भरत रेड्डी तक्षशिला संस्थान के उच्च-प्रौद्योगिकी भू-राजनीति प्रोग्राम में अनुसंधानकर्ता हैं. वह नितिन पई, सत्य शूवा साहू, रिजेश पणिक्कर और श्रीधर कृष्ण के साथ कृत्रिम मेधा (AI) शासन से संबंधित तक्षशिला परिचर्चा से जुड़े दस्तावेज़ के सह-लेखक हैं.

 

हिंदी अनुवादः डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (हिंदी), रेल मंत्रालय, भारत सरकार <malhotravk@gmail.com> / Mobile : 91+991002991/WhatsApp:+91 83680 68365