"उपनिवेशवाद से मुक्ति" की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों (IR) के एक गंभीर विद्वान् के रूप में काम करते हुए पिछले कुछ वर्षों में, मैंने जो चाहा है उसमें सतर्क रहना सीख लिया है. अकादमिक ज्ञान को उपनिवेशवाद से मुक्त करने का मतलब पारंपरिक रूप से विचार और जाँच के पश्चिमी-केंद्रित रूपों पर सवाल उठाना है जिन्हें सार्वभौमिक विचारों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है. इसका मतलब है पश्चिम को सैद्धांतिक बैंचमार्क और अनुभवजन्य फोकस बिंदु से हटाना और उन तमाम तरीकों को गंभीरता से लेना, जिनसे शाही विरासत समकालीन अंतर्राष्ट्रीय राजनीति से आकार ग्रहण करती है.